गोरखपुर सदर: सीएम योगी के खिलाफ मैदान में हैं चंद्रशेखर रावण, क्या हैं ग्राफ गोरखपुर शहरी विधानसभा क्षेत्र का!!
चंद्रशेखर ने किसान आंदोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। पश्चिमी यूपी के कुछ इलाकों में दलित युवाओं के एक वर्ग में उन्हें आइकॉन के रूप में देखा जाता है। अंतरराष्ट्रीय मैगजीन टाइम ने भी फरवरी 2021 में भारत के 100 उभरते प्रभावी लोगों की लिस्ट में चंद्रशेखर रावण का नाम शामिल किया था।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार युवा नेता और भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण गोरखपुर सदर सीट से सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ किश्मत आजमा रहे हैं। चुनाव से ठीक पहले अखिलेश यादव और चंद्रशेखर रावण के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बात बनते-बनते रह गई। अच्छी खासी शोहरत हासिल कर चुके चंद्रशेखर हाथरस रेप पीड़िता के लिए आवाज उठाने वाले पहले व्यक्ति थे।
चंद्रशेखर रावण के गोरखपुर से मैदान में उतरने के वजह से से जिले के चुनाव का रोमांच बढ़ गया है। सबसे बड़ी मुसीबत तो बसपा के लिए है और वो अपने वोट बैंक को सहेजने में जुट गई है। पेशे से वकील चंद्रशेखर युवा लड़कों की टोली के साथ क्षेत्र में घूम घूम कर अपने लिए वोट मांग रहे हैं।
चंद्रशेखर कहते है कि वो मंदिर मस्जिद की राजनीति नहीं करते, लोकतंत्र में पूरी आस्था हैं। उनकी कोशिश है कि सारे अम्बेडकरवादी लोग साथ आएं और मिलकर जनता की समस्याओं का निराकरण करने में सहयोग करें।
गोरखपुर से चुनाव लड़ने को लेकर चंद्रशेखर का कहना है यहां मंडल और कमंडल की लड़ाई है। बेरोजगार युवा परेशान है. चुनाव में उनका मुख्य मुद्दा हेल्थ, ऐजुकेशन और रोजगार है।
चंद्रशेखर रावण का जन्म पश्चिम यूपी के सहारनपुर जिले में 1986 में हुआ था। रावण के पिता एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल हैं। शुरू से जुझारू प्रवृत्ति के रावण दलितों की मुक्ति को लेकर काम करते रहे हैं। 2018 में अपने दो साथियों के साथ मिलकर भीम आर्मी बनाई जो शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम करता है। यह संगठन पश्चिमी यूपी के कई जिलों में दलितों के लिए मुफ्त स्कूल भी चलाता है। दंगों में संगठन की कथित भागीदारी के चलते यूपी एसटीएफ ने चंद्रशेखर रावण को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। जेल से निकलने के बाद रावण सामाजिक और राजनीतिक सरोकार के मामले उठाते रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गोरखपुर सदर सीट पर 4.70 लाख वोटर हैं। सबसे ज्यादा संख्या कायस्थ वोटर हैं। उनकी संख्या करीब 1.10 लाख है। ब्राह्मण 60 हजार हैं, मुस्लिम 50 हजार, क्षत्रिय 30 हजार, वैश्य 45 हजार, निषाद 25 हजार, यादव 25 हजार, दलित 20 हजार अन्य 30 हजार के करीब हैं। माना जाता है कि यहां चुनाव जाति देखकर नहीं बल्कि गोरखनाथ मंदिर के नाम पर होता है।
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